छोटी दीवाली 2024: नरक चतुर्दशी पर अपनों को दें शुभकामनाएं, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व

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छोटी दीवाली का महत्व और पूजा का विशेष मुहूर्त
इस पर्व से एक दिन पहले छोटी दीवाली मनाई जाती है, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। भारत में सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए दीवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जिसमें दीप जलाकर भगवान से सुख, समृद्धि और शांति की प्रार्थना की जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, माता कालिका और यमराज की पूजा का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और योग
वर्ष 2024 में नरक चतुर्दशी का पर्व 30 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को दोपहर 01:16 बजे से होगा, और इसका समापन 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 बजे पर होगा। इस दिन अमृत काल 30 अक्टूबर दोपहर 02:56 से शाम 04:45 तक रहेगा।

भद्रावास योग का शुभ संयोग भी इसी दिन बन रहा है। इस योग का प्रारंभ 30 अक्टूबर दोपहर 01:16 से हो रहा है और यह 31 अक्टूबर देर रात 02:35 तक रहेगा। भद्रा पाताल लोक में रहेगी, जिससे इस दिन पूजा-पाठ के दौरान जीवों का कल्याण होता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग में करें पूजा
इस बार नरक चतुर्दशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। इस योग का प्रारंभ 30 अक्टूबर को सुबह 06:32 से लेकर रात 09:43 तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग
नरक चतुर्दशी पर हस्त नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है, जो 31 अक्टूबर रात 09:43 पर समाप्त होगा। इस नक्षत्र को ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना जाता है। हस्त नक्षत्र में की गई पूजा अधिक लाभकारी मानी जाती है।

नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली क्यों कहा जाता है? जानिए इसके पौराणिक और धार्मिक महत्व

नरक चतुर्दशी, जिसे आमतौर पर “छोटी दीवाली” के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पावन पर्व है जो दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन को छोटी दीवाली कहे जाने के पीछे कई पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख भगवान श्रीकृष्ण और राक्षस नरकासुर की कथा है।

1. भगवान श्रीकृष्ण द्वारा नरकासुर का वध

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर ने अपने अत्याचारों से तीनों लोकों को परेशान कर रखा था। उसने कई राजकुमारियों को बंदी बना लिया था और देवताओं को भी आतंकित कर रखा था। स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने के बाद, नरकासुर ने देवताओं को कैद कर लिया और चारों ओर आतंक फैलाने लगा।

कहते हैं कि जब नरकासुर के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसके विनाश का संकल्प लिया। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उसके बंदीगृह से लगभग 16,000 महिलाओं को मुक्त कराया। नरकासुर के वध से तीनों लोकों में सुख-शांति लौटी और लोग प्रसन्नता के प्रतीक के रूप में दीप जलाने लगे। इसी कारण इस दिन को दीप जलाकर मनाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज “छोटी दीवाली” के नाम से प्रसिद्ध है।

2. रूप चौदस के रूप में मान्यता

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन उबटन या स्नान से शरीर की शुद्धि होती है और सौंदर्य में वृद्धि होती है। इसके पीछे धार्मिक विश्वास है कि तिल के तेल का उबटन और स्नान करने से श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो व्यक्ति को सुंदरता और सौभाग्य प्रदान करता है। इसी दिन लोग तेल स्नान करके भगवान श्रीकृष्ण और यमराज का पूजन करते हैं।

3. हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन लोग हनुमान चालीसा का पाठ और आरती करते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भय से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी की पूजा कर उन्हें भोग लगाने से भक्तों को उनके बल और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

4. यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा

छोटी दीवाली या नरक चतुर्दशी पर यमराज के नाम का दीपक जलाने का भी विशेष विधान है। शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर चार दिशाओं वाला आटे का दीपक जलाया जाता है, जिसे “यम दीपक” कहा जाता है। यह दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाया जाता है, जिससे घर के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दीपक के प्रकाश से यमराज प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति पर उनकी कृपा बनी रहती है।

5. भद्रा योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का महत्व

इस दिन भद्रा योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योग बनते हैं, जिनमें पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भद्रा योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है, और सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई पूजा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

6. सुंदरता और समृद्धि के लिए उपाय

रूप चौदस के दिन लोग तिलक और गुलाब की पंखुड़ियों से पूजा कर समृद्धि के उपाय करते हैं। यह भी मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष पूजा विधि अपनाने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाकर लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, जिससे घर में समृद्धि बनी रहती है।

नरक चतुर्दशी या छोटी दीवाली एक ऐसा पर्व है जो न केवल पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी अत्यंत गहरा है। इस दिन के पीछे भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और नरकासुर के वध की गाथाएं लोगों के मन में उत्सव के रूप में घर कर गई हैं। छोटी दीवाली का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि कैसे अधर्म पर धर्म की जीत होती है और हर किसी को जीवन में आध्यात्मिक सौंदर्य एवं समृद्धि की ओर अग्रसर होना चाहिए।

डिस्क्लेमर: यह लेख जन-सामान्य की मान्यताओं पर आधारित है। दी गई जानकारी की सटीकता और संपूर्णता के लिए हम उत्तरदायी नहीं हैं।

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